अनुभव के बाद जब पुरोहिती में प्रवृत्त होगा तो फिर यथार्थ और उज्ज्वल
2.
नाना पक्षों की ओर न बढ़कर, यदि काव्य प्रवृत्त होगा तो किसी एक भाव को लेकर
3.
शास्त्र अध्ययन, साधना एवं सत्संग तीनों हों तो कहना ही क्या? ऐसा मनुष्य सदैव सत्कार्यकी ओर ही प्रवृत्त होगा ।
4.
(3) यह ऐसी तिथि से प्रवृत्त होगा जैसा कि राज्य सरकार, राजकीय गजट में अधिसूचना द्वारा, नियत करें।
5.
विशेष कर आपका समाज तो इस कड़वे अनुभव के बाद जब पुरोहिती में प्रवृत्त होगा तो फिर यथार्थ और उज्ज्वल पुरोहिती होगी, न कि कलंक कालिमा कलुषिता।
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(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा।
7.
मुनाफा अभिमुखी आर्थिक व्यवहार ही समाजिक सम्बन्धों का आधार है और वही उनका नियन्ता भी है (अतएव व्यक्ति उसी काम की ओर प्रवृत्त होगा, जिससे उसे अधिक मुनाफा मिले।
8.
अपनी सामाजिक व राजनीतिक सोच के लिए भारत भी यूरोप का ही अनुकरण करता रहा है, तो क्या अब वह उससे बाहर निकलकर कुछ और सोचने के लिए प्रवृत्त होगा?
9.
ज्ञान को किनारे रखकर, उसके द्वारा सामने लाए हुए जगत् और जीवन के नाना पक्षों की ओर न बढ़कर, यदि काव्य प्रवृत्त होगा तो किसी एक भाव को लेकर अभिव्यंजना के वैचित्रय प्रदर्शन में ही लगा रह जाएगा।
10.
वह मन को विसर्जित कर अपने चित्त पर गुरू की प्रतिमा अंकित कर पायेगा [ध्यान मूलं गुरोर्मुर्ती] ; वह अपने ह्रदय के भावों के माध्यम से गुरू चरणों पर अश्रु-पुष्पों की वर्षा कर पायेगा [पूजा मूलं गुरोर्पदम] ; वह गुरू के द्वारा प्राप्त मंत्र/कार्य को सार्थक करने हेतु कठिन पुरुषार्थ में प्रवृत्त होगा [मंत्र मूलं गुरोर्वाक्यं] और अंततः निश्चिन्त हो गुरू के हाथों में अपनी गति तो समर्पित कर देगा [मोक्ष मूलं गुरोर्कृपा]